छत्तीसगढ़ी गज़ल

कब ले खड़े हस तै बताय नही
ए धुंधरा म बिया चिन्हाय नही!

मुहु मांगे मौसम मयारू संगी बर
हुदुप ले कहुं मेर सपड़ाय नही !

सिरावत हे रूखवा कम होगे बरसा
लगाये बिरवा फेर पानी रूताय नही!

अनजान होगे आनगांव कस परोसी
देख के घलो हांसे गोठियाय नही!

जेती देखबे गिट्टी सिरमिच के जंगल
कठवा कस झटकुन काटे कटाय नही!

जब तक हे जिनगी जीये ल तो परही
का करबे?ए हवा म संवासा लेवाय नही!

बढ़त जात खईहा मनखे अउ परकीति म
सब पाटव एक झिन म एहा पटाय नही!

ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
४९३९९६
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